Glucoma क्या है ग्लूकोमा होने के लक्षण, कारण और इलाज क्या है?

ग्लाकोमा क्या है कैसे होता है चलिए जानते है दोस्तो ग्लूकोमा एक ऐसी आंख की स्तिथि है जिसमें व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। अगर हम अपने आंखों की संरचना की बात करें तो हमारे आंख के कॉर्निया और आइरिस के बीच में एक स्पेस यानी जगह होता है जिसे इंटीरियर चेंबर कहते हैं और इसी आइरिस और हमारे लेंस के बीच में भी एक स्पेस होता है जिसे पोस्टीरियर चेंबर कहते हैं इन दोनों ही चेंबर में एक फ्लूइड भरा रहता है जिसे एक्वियस ह्यूमर कहते है जो कि हमारे आंखों के कॉर्निया और लेंस जैसे चीजों को न्यूट्रिशन देता है।

और इनमें सफाई भी करता है। ये यहां पर दो छोटे-छोटे छेद होते हैं जिसे trabecular मेशवर्क कहते हैं और यह है सिलियरी बॉडी यहीं से ये एक्वियस ह्यूमर फ्लूइड रिलीज होता है जो पोस्टीरियर चेंबर में भरता है और प्यूप के थ्रू इस आगे वाले एंटीरियर चेंबर में भी आ जाता है और इस Trabecular मेशवर्क से ये फ्लूइड लगातार ड्रेन होकर प्रेशर को मेंटेन किया रहता है। किसी भी एक चेंबर में बहुत ज्यादा फ्लूइड नहीं रहता है और ना कम रहता है बैलेंस बराबर ही बना रहता है।

ग्लूकोमा कैसे होता है?

ये हमारे आंखों के हेल्थ के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट प्रेशर है। देखिए क्या होता है जब हमारे इस इंटीरियर चेंबर में ये एक्वियस ह्यूमर बहुत ज्यादा हो जाता है तो यह हमारे लेंस में पीछे की ओर फोर्स लगाता है एक प्रेशर लगाता है जो कि हमारे आंखों के हेल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होता है ज्यादा दिन तक होने पर ये हमारे आंखों की पेरिफेरल विजन को बाधित करता है और विजन लॉस कराता है। बहुत पुराना होने पर इलाज ना कराने पर व्यक्ति अंधा भी हो सकता है इसी कंडीशन को ही ग्लूकोमा कहते हैं। Glucoma दो प्रकार के होते हैं एक होता है ओपन एंगल Glucoma।

इसमें क्या होता है देखिए ये जो ट्रैकुलर मेशवर्क है छोटा सा छेद यहां पर अगर इसका का एंगल खुला हो ये ओपनिंग खुली हुई हो लेकिन जो फ्लूइड एक्वियस ह्यूमर है उसका रेट ऑफ ड्रेनेज बहुत ही स्लो हो जाए बहुत ही धीरे-धीरे ये पोस्टीरियर चैंबर की तरह फ्लो करें तो इस कंडीशन में धीरे-धीरे व्यक्ति में ग्रेजुअली glucoma डेवलप होता है और धीरे-धीरे करके व्यक्ति का विजन लॉस होता है लेकिन एक कंडीशन है क्लोज एंगल ग्लूकोमा या जिसे कहते हैं एक्यूट glucoma इसमें क्या होता है ये जो एंगल है बिल्कुल अचानक से बंद हो जाता है।

ये पूरा जो trabecular मेशवर्क है इसका छेद ही बंद हो जाता है इसके वजह से फ्लूइड इस इंटीरियर चेंबर में इकट्ठा हो जाता है और ड्रेन ही नहीं हो पाता है जिसके वजह से यह लेंस पर पीछे की ओर बहुत ही हैवी प्रेशर लगाता है क्योंकि ये अचानक से ही होता है इसलिए इसमें व्यक्ति की देखने की क्षमता पूरी तरीके से नष्ट भी हो सकती है क्योंकि यह पीछे की ओर फोर्स लगाकर नर्व और ब्लड वेसल्स को डैमेज कर देता है जिससे व्यक्ति की देखने की क्षमता हमेशा हमेशा के लिए चली जाती है।

अगर नर्व जो कि आंखों से लगी हुई होती है वो डैमेज होती है तो व्यक्ति परमानेंट ब्लाइंडनेस हो जाता है या टोटल ब्लाइंडनेस हो जाती है।

ग्लूकोमा क्या है

ग्लूकोमा का इलाज क्या है?

ग्लूकोमा इलाज भी नहीं हो सकता है और इसका इलाज कैसे होता है इसका इलाज आई ड्रॉप से किया जाता है जिसमें आंख के प्रेशर को ग्रेजुएट के सहारे कम किया जाता है और इसे डायग्नोज करने के लिए टोनोमेट्री का उपयोग किया जाता है जिसमें आंखों के अंदर के प्रेशर को मेजर किया जाता है और ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी से भी इसे डायग्नोज कर सकते हैं।

ग्लूकोमा क्या है?

ग्लूकोमा एक ऐसी आंख की स्तिथि है जिसमें व्यक्ति अंधा भी हो सकता है।

ग्लूकोमा कैसे होता है?

हमारे लेंस में पीछे की ओर फोर्स लगाता है एक प्रेशर लगाता है जो कि हमारे आंखों के हेल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होता है ज्यादा दिन तक होने पर ये हमारे आंखों की पेरिफेरल विजन को बाधित करता है और विजन लॉस कराता है। बहुत पुराना होने पर इलाज ना कराने पर व्यक्ति अंधा भी हो सकता है इसी कंडीशन को ही ग्लूकोमा कहते हैं।

ग्लूकोमा का इलाज क्या है?

इसका इलाज आई ड्रॉप से किया जाता है जिसमें आंख के प्रेशर को ग्रेजुएट के सहारे कम किया जाता है।

ग्लूकोमा में आंखों का रंग कैसा होता है?

ग्लूकोमा में आंख का रंग, भूरा, सफेद, काला होता है।

ग्लूकोमा में आंखों का प्रेशर कैसे बढ़ता है?

आंखों के हेल्थ के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट प्रेशर है। देखिए क्या होता है जब हमारे इस इंटीरियर चेंबर में ये एक्वियस ह्यूमर बहुत ज्यादा हो जाता है तो यह हमारे लेंस में पीछे की ओर फोर्स लगाता है एक प्रेशर लगाता है।

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