विशेषज्ञों ने आरो फिल्टर किए गए पानी को लेकर चेतावनी दी जिसमें कहा गया कि जरूरी नहीं है, कि आरो का पानी पीने के लिए सबसे सेफ हो या आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। विशेषज्ञों की इस चेतावनी पर लोगो ने भी चिंता जताई है क्योंकि RO फिल्टर पानी से उन मिनरल्स को भी निकाल देता है जो शरीर के लिए जरूरी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबे समय तक RO का पानी पीने से शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे खनिज की कमी हो जाती है यही कारण है कि आरओ का पानी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है, और ऐसा हुआ भी है दरअसल चेकोस्लोवाकिया और स्लोवाकिया में 5 साल तक पीने के लिए आरो का पानी अनिवार्य कर दिया गया जिसके बाद वहां खनिजों की कमी की वजह से लोगों में हेल्थ प्रॉब्लम्स बढ़ गई।
जानकारी के मुख्य हेडिंग
आरओ का पानी पीते रहने से शरीर में मिनरल्स नहीं पहुंचे और लोगों को शरीर में दर्द मांसपेशियों में थकान यहां तक कि याददाश्त में कमी की शिकायतें होने लगी और इसलिए WHO ने भी फिल्टर किए गए पानी में टीडीएस का एक स्तर बनाए रखना बेहद जरूरी बताया डॉक्टरों का मानना है कि पीने के पानी में 200 से 250 मिलीग्राम टीडीएस तो होना ही चाहिए लेकिन यहां दोहरी समस्या है अगर आरओ फिल्टर्ड पानी पीते हैं तो भी दिक्कत और बिना फिल्टर का पानी पीते हैं तब भी शरीर में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में ज्यादातर जगहों पर साफ पानी है ही नहीं है कई जगह तो ग्राउंड वाटर भी दूषित है तरह-तरह से मिट्टी के अंदर केमिकल्स जा रहे हैं जिनसे धरती का सिस्टम ही खतरे में आ गया है, क्योंकि शहरों में बसी बड़ी आबादी आरओ का पानी इस्तेमाल कर रही है, वाटर प्यूरीफायर आज हर घर का हिस्सा बन गए हैं तो ऐसे में सवाल यह है कि जब आरो का साफ सुथरा पानी भी सेहत के लिए हानिकारक है तो फिर कौन सा पानी पीने लायक है क्या आपके घर में भी आरओ है क्या आपके पानी में मिनरल्स हैं।
आरओ के शुद्ध पानी से सावधान क्योंकि आरओ का पानी साफ तो है लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि वह आपकी सेहत के लिए सेफ है या नहीं, लाखों करोड़ों लोग आज तरह-तरह के वाटर प्यूरीफायर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं और ये उनकी मर्जी से ज्यादा उनकी मजबूरी बन गई है पानी में तो टेस्ट दोनों एक जैसा है।
पानी का TDS क्या है?
WHO का मानना है कि पानी में टीडीएस की मात्रा का होना भी जरूरी है लेकिन यह टीडीएस होता क्या है पहले वो समझ लीजिए।
टीडीएस का मतलब है टोटल डिजॉल्व सॉल्वेंट, प्योर वाटर जो हमें एसेंशियल मिनरल्स है वो हमें नहीं मिल रहे जो कि लॉन्ग टर्म यूसेज की वजह से हमें बॉडी में हेल्थ रिलेटेड कॉम्प्लिकेशंस होने स्टार्ट हो जाते हैं जमीन का पानी खराब हुआ तो पानी साफ करने का दावा करने वाली तरह-तरह की तकनीकों से बाजार भर गए लेकिन वह साफ पानी आपकी सेहत को बिगाड़ भी सकता है।
विज्ञापनों में यह कहीं दिखाई नहीं दिया। कुछ महिलाएं तो यहां तक मानती हैं कि आरओ जरूरत से ज्यादा तो सामाजिक स्तर दिखाने का जरिया बन गया है। पहले वाटर धरती का पानी लोग ज्यादा पीते थे, बर्मे का पानी, नल का पानी, ज्यादा कुएं का पानी ज्यादा पीते थे। उसमें ज्यादा इम्युनिटी मिलती थी, बट आजकल सब होड़ चाल चल रही है, आरओ का पानी, आरओ का पानी, आरओ का पानी। आजकल बॉयल करना भी नहीं लोग चाहते हैं।
फिल्टर आरओ के पानी को लेकर महिलाओं को प्रतिक्रिया क्या है?
महिलाओं से जब यह सवाल किया गया कि क्या आरओ के पानी के बिना नहीं रहा जा सकता, तो उनका सीधा सा जवाब था, “बिल्कुल चल सकती, लेकिन यही है कि जैसे वाटर पोलूशन है, उसको कम किया जाए। गंगा वाटर या जो कुएं का है, थोड़ा सा पोलूशन मुक्त किया जाए। जो आपका आरओ बता रहे हैं, तो आरओ का तो यही है ना कि इससे तो मिनरल्स और बहुत सारी चीजें होती हैं, जो मतलब पानी की मतलब महत्व ही तत्व ही खत्म हो जाते हैं।”
ऐसे में जरूरी है कि पानी को साफ करने के वे तरीके अपनाए जाएं, जिनसे पानी में जरूरी मिनरल्स बने रहें। अब आपको बताते हैं कि अगर आप लगातार आरओ का पानी पीते आ रहे हैं, तो आपको क्या कुछ परेशानियां हो सकती हैं। आरओ का पानी पीने से शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
आरओ का पानी शरीर में विटामिन बी12 को कम कर सकता है?
आरओ का पानी आपके शरीर में विटामिन बी12 के लेवल को कम कर सकता है। आरओ का पानी शरीर में ब्लड लेवल्स को भी कम कर सकता है, जिससे धीरे-धीरे कमजोरी और थकान की शिकायत हो सकती है। आरओ के पानी से आपको ब्लोटिंग और गैस की शिकायत आ सकती है। पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल्स के निकल जाने से आरओ का पानी आपके दिल के लिए भी खतरा बन सकता है। साथ ही आरओ पानी के पीएच लेवल को एसिडिक बना देता है।
यही वजह है कि अब से 30-40 साल पहले तक लोग आरओ जैसी तकनीक के बारे में जानते भी नहीं थे, क्योंकि पानी शुद्ध और साफ था। पानी को साफ करने के लिए पारंपरिक तरीके अपनाए जाते थे और आज भी देश के अलग-अलग हिस्सों में पानी को प्यूरिफाई करने के लिए वही पुराने तरीके चलन में हैं। इसलिए बाजार की अंधी दौड़ के शिकार होने से बचिए और पानी को साफ बनाने के चक्कर में उससे जरूरी मिनरल्स का सफाया मत कीजिए।