आज हम कुत्तों से जुड़े मिथक और भ्रांतियों के बारे में जानेंगे। दोस्तों, पिछले 10 से 12 हजार वर्षों से इंसान और कुत्ते साथ रह रहे हैं, और हमने उनके व्यवहार को बेहतर ढंग से समझा है। फिर भी, हमारे समाज में कुत्तों को लेकर कई मिथक और भ्रांतियां हैं।
मिथक नंबर एक: कुत्ते रंगों को नहीं देख सकते
आपने बहुत से लोगों से या अपने आस-पास के लोगों से जरूर सुना होगा कि कुत्ते रंगों को नहीं देख सकते यानी वे कलर ब्लाइंड होते हैं और उन्हें सब कुछ ब्लैक एंड व्हाइट दिखता है। आइए समझते हैं कि यह मिथक कितना सच है, और इसके बारे में विज्ञान और रिसर्च क्या कहती है। कुत्तों की आंखों में रंग देखने के लिए दो फोटोरिसेप्टर होते हैं, जबकि इंसानों के पास तीन होते हैं।
अध्ययनों से पता चला है कि कुत्ते नीले, पीले और भूरे रंग के विभिन्न शेड्स को देख सकते हैं। हालांकि, कुत्तों का रंग दृश्य स्पेक्ट्रम इंसानों की तुलना में कम विस्तृत होता है, लेकिन वे पूरी तरह से कलर ब्लाइंड नहीं होते।
मिथक नंबर दो: कुत्ते बीमार होने पर घास खाते हैं।
यह सच है कि कुछ कुत्ते बीमारियों या मितली के दौरान घास खाते हैं, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि सभी कुत्ते ऐसा करें। रिसर्च बताती है कि घास खाने का मतलब यह हो सकता है कि कुत्ते को अपने आहार में फाइबर की आवश्यकता होती है।
फाइबर पाचन में सहायता करता है और कब्ज को रोकता है। घास फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन यह पचाने योग्य नहीं होता। मक्का, ज्वार, बाजरा, और ब्रोकली भी फाइबर से भरपूर होते हैं।
मिथक नंबर तीन: कुत्तों की पूंछ हिलाना हमेशा दोस्ताना इशारा होता है।
यह मिथक सही नहीं है। पूंछ हिलाना खुशी, उत्तेजना, और सतर्कता का संकेत हो सकता है, लेकिन यह भय या चिंता का भी संकेत हो सकता है। कुत्ते की पूरी बॉडी लैंग्वेज का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। मिथक नंबर चार: ठंडी नाक का मतलब कुत्ता स्वस्थ है। यह कहना पूरी तरह गलत है।
नाक का गीलापन या सूखापन कुत्ते की दैनिक गतिविधियों पर निर्भर करता है और स्वास्थ्य का सही संकेत नहीं है। कुत्ते की भूख और दैनिक गतिविधियाँ उसके स्वास्थ्य के अधिक विश्वसनीय संकेत हैं।
मिथक नंबर पांच: कुत्ते का मुंह इंसान के मुंह से ज्यादा साफ होता है।
यह मिथक संभवतः कुत्तों की घावों को चाटने की आदत से उत्पन्न हुआ है, जो कि घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। कुत्तों का मुंह वास्तव में साफ नहीं होता। कुत्ते ब्रश नहीं करते, जिससे तीन साल से अधिक उम्र के अधिकांश कुत्तों को दंत समस्याएं होती हैं।
मिथक नंबर छह: कुत्ते बड़ी उम्र में नई तरकीबें नहीं सीख सकते।
यह सच नहीं है। युवा कुत्ते नई तरकीबें सीख सकते हैं, बशर्ते ट्रेनिंग सही तरीके से दी जाए। उम्र बढ़ने के साथ सीखने की इच्छा कम हो सकती है, लेकिन उचित ट्रेनिंग से नई गतिविधियों को सिखाया जा सकता है।