दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है इससे संबंधित जानकारी को जाने?

दीपावली का त्योहार हमारे देश में दशहरा, दुर्गा पूजा, रक्षाबंधन, ईद, होली दीपावली, क्रिसमस आदि कई त्यौहार मनाए जाते हैं। इन सभी त्योहारों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं इनमें से दीपावली हमारा महापर्व है प्राचीन काल से इसका मनाया जाना चला आ रहा है।

दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।

दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

दीपावली प्रमुख रूप से हिंदुओं का त्यौहार है। यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इससे संबंधित कथा क्या है चलिए इसके बारे में जानते हैं।

जब 14 वर्ष के वनवास के बाद श्री रामचंद्र जी अपनी पत्नी सीता जी तथा छोटे भाई लक्ष्मण के साथ सकुशल अयोध्या वापस लौटे, तब उनके स्वागत में अयोध्या वासियों ने घर-घर दीपक जलाकर उत्सव मनाया था कहते हैं कि तभी से दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।

दीपावली का पर्व आने के कुछ दिन पहले से ही लोग इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं। लोग अपने घरों को साफ सुथरा करते हैं रंगाई पुताई भी करते हैं, और कच्चे मकानों को लिप पोत साफ करते हैं। वास्तव में वर्षा ऋतु के बाद घर वापस को स्वच्छ बना कर खुशी मनाना इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है।

दीपावली कितने दिन तक मनाया जाता है?

यह त्यौहार लगातार पांच दिन तक मनाया जाता है। जिस का विस्तृत वर्णन नीचे हम जानेंगे।

दीपावली का पहला दिन

पहला दिन धनतेरस का होता है, इस दिन शाम को दीपक जलाकर मकान की देवड़ी पर और तुलसी के पौधे के पास रखा जाता है। इस दिन लोग कोई नया बर्तन खरीदते हैं, और उसमें गणेश लक्ष्मी की मूर्ति रखकर पूजा करते हैं, मिठाई चढ़ाते हैं और प्रसाद बांटते हैं।

दीपावली का दूसरा दिन

दूसरे दिन नरक चतुर्थी का होता है। इसी दिन श्री कष्ण ने नरकासुर का वध किए थे क्योंकि वह बड़ा अत्याचारी था। इसके प्रतीक के रूप में इस दिन घर पर दीपक जलाया जाता है, लेकिन यह नरकासुर एक बार मारने से नहीं मारा उसे तो हर साल मारना पड़ता है। वर्षा ऋतु की गंदगी को दूर करना नरकासुर का वध है।

दीपावली का तीसरा दिन

तीसरा दिन मुख्य दीपावली का दिन होता है। इस दिन व्यापारी लोग गणेश लक्ष्मी तथा अपनी भाइयों का पूजन करते हैं। मिट्टी के दीपक को में सरसों का तेल जलाकर मकानों को सजाया जाता है। इस दिन की दीप मालिका बड़ी सुंदर लगती है यह देखने योग्य होता है।

सरसों के तेल के जलने से कीटाणु नष्ट होते हैं। और वातावरण स्वच्छ बनता है। किंतु अब सरसों का तेल महंगा होने के कारण बिजली के झालरों, बल्ब तथा मोमबत्ती यों को जलाकर घर की सजावट की जाती है। बच्चे पटाखे और आतिशबाजी या छोड़ कर खुश होते हैं, अपने अपने घर में लोग अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर खाते हैं।

इस पर्व पर गणेश लक्ष्मी का विशेष रूप से पूजन इसलिए किया जाता है, कि गणेश जी विघ्न बाधाओं का नाश करने वाले देवता है, और लक्ष्मी जी धन की देवी है। इसलिए व्यापारी तथा सामान्य सभी लोग उनसे यह कामना करते हैं, कि बिना विघ्न बाधा के धन की प्राप्ति हो महर्षि गर्ग का कथन है, कि जिस घर में सदगुण संपन्न नारी रहते हैं, उस घर में ही लक्ष्मी गृह स्वामिनी के रूप में निवास करती है, देवता भी उस घर को नहीं छोड़ते।

इसके विपरीत जिस घर में कल ही गुस्सैल या दुर्बुद्धि नारी होती है। वहां लक्ष्मी भूलकर भी नहीं आती है। इस पर्व पर बच्चे आतिशबाजी छोड़कर प्रसन्न होते हैं। किंतु आतिशबाजी छोड़ने में उन्हें सावधानी रखनी चाहिए तेज पटाखों से कान के पर्दे फट जाते हैं, और लोग वहां बहरे हो जाते हैं कभी-कभी आतिशबाजी से नुकसान भी हो जाता है।

दीपावली का चौथा दिन

चौथा दिन व्यापार के नए वर्ष का होता है, किंतु इस दिन व्यापारी अपनी दुकानें बंद रखते हैं। लोग एक दूसरे से मिलकर नए वर्ष की शुभकामनाएं करते हैं।

दीपावली का पांचवा दिन

पांचवा दिन भैया दूज का होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की आरती उतारती हैं और उन्हें मिठाई खिलाते हैं। भाई इस के उपलक्ष में बहन को कुछ धन भेंट के रूप में रहता है।

इस पर्व पर कुछ लोग जुआ खेलते हैं, यह एक सामाजिक बुराई है अतः जुआ खेलना अच्छी बात नहीं है।

इस प्रकार दीपावली का पर्व 5 दिन तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता है?

जब 14 वर्ष के वनवास के बाद श्री रामचंद्र जी अपनी पत्नी सीता जी तथा छोटे भाई लक्ष्मण के साथ सकुशल अयोध्या वापस लौटे, तब उनके स्वागत में अयोध्या वासियों ने घर-घर दीपक जलाकर उत्सव मनाया था कहते हैं कि तभी से दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।

धनतेरस का पर्व कैसे मनाया जाता है?

दीपावली पहला दिन धनतेरस का होता है, इस दिन शाम को दीपक जलाकर मकान की देवड़ी पर और तुलसी के पौधे के पास रखा जाता है। इस दिन लोग कोई नया बर्तन खरीदते हैं, और उसमें गणेश लक्ष्मी की मूर्ति रखकर पूजा करते हैं, मिठाई चढ़ाते हैं और प्रसाद बांटते हैं।

नरक चतुर्दशी के दिन क्या करते हैं?

इसी दिन श्री कष्ण ने नरकासुर का वध किए थे क्योंकि वह बड़ा अत्याचारी था। इसके प्रतीक के रूप में इस दिन घर पर दीपक जलाया जाता है, लेकिन यह नरकासुर एक बार मारने से नहीं मारा उसे तो हर साल मारना पड़ता है। वर्षा ऋतु की गंदगी को दूर करना नरकासुर का वध है।

दीपावली का पर्व मनाने की कुछ दिन पहले से ही क्या-क्या तैयारियां करते हैं?

दीपावली का पर्व आने के कुछ दिन पहले से ही लोग इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं लोग अपने घरों को साफ सुथरा करते हैं रंगाई पुताई भी करते हैं और कच्चे मकानों को लिप पोत साफ करते हैं।

दीपावली का मुख्य पर्व किस प्रकार मनाया जाता है?

दीपावली का मुख पर्व तीसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन व्यापारी लोग गणेश लक्ष्मी तथा अपनी भाइयों का पूजन करते हैं। मिट्टी के दीपक को में सरसों का तेल जलाकर मकानों को सजाया जाता है।

दीपावली में गणेश लक्ष्मी का पूजन क्यों किया जाता है?

इस पर्व पर गणेश लक्ष्मी का विशेष रूप से पूजन इसलिए किया जाता है, कि गणेश जी विघ्न बाधाओं का नाश करने वाले देवता है, और लक्ष्मी जी धन की देवी है। इसलिए व्यापारी तथा सामान्य सभी लोग उनसे यह कामना करते हैं, कि बिना विघ्न बाधा के धन की प्राप्ति हो।

भैया दूज के दिन क्या होता है?

दीपावली का पांचवा दिन भैया दूज का होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की आरती उतारती हैं और उन्हें मिठाई खिलाते हैं। भाई इस के उपलक्ष में बहन को कुछ धन भेंट के रूप में रहता है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *